Tuesday, 29 September 2015

सरकार और शासन शब्द



सरकार और शासन

एक ब्लॉग पर सरकार शब्द को संस्कृत के श्रीकार्य या श्रीकरः से व्युत्पन्न सिद्ध किया गया है। इस शब्द का विकास कुछ इस प्रकार दर्शाया गया है- श्रीकार्य> श्रीकरः > श्रिकर>सरकर >सरकार। हो सकता है सरकारशब्द की व्युत्पत्ति ऐसे हुई हो। न जाने क्यों हम भारत-वासियों और खासकर हिन्दी वालों को यह लगता है कि दुनिया में ज्ञान के नाम पर जो कुछ है वह सब संस्कृत में ही संकेन्द्रित है। मुझे डर है कि कहीं सरकार शब्द की व्युत्पत्ति खोजने के क्रम में भी तो यही नहीं कर दिया गया?
मुझे लगता है कि सरकार शब्द को फारसी भाषा से गृहीत मानने में कुछ भी अनुचित नहीं है। फारसी में कार शब्द का इस्तेमाल कार्यया कामआदि के लिए होता है। इसीलिए वहाँ वर्कशॉप को कहा जाता है कारखाना, डीड या डूइंग्स का अर्थ है- कारनामा या कारगुज़ारी। इसी प्रकार जो (व्यक्ति या सत्ता) कुछ भी करने में सक्षम है, उसे कहा जाता है- कारसाज़, यानी करने में सक्षम। इसीलिए भगवान के बारे में कहा जाता है कि ऊपर वाला बड़ा कारसाज़ है। कार का ही संक्षिप्त रूप है कर। इससे बना- करतूत, करतब (जो कर्तव्य का अपभ्रंश नहीं है)। इन थोड़े-से उदाहरणों से यह तो सिद्ध होता है कि 'कार' अपने-आप में स्वतंत्र शब्द या मूल धातु है, जिसमें नामा, साज आदि प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाए जा सकते हैं।
यदि 'कार' मूल धातु है, तो निश्चय ही उसमें उपसर्ग यानी प्रीफिक्स लगाकर कुछ और नए शब्द बनाना संभव होगा (उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते- उपसर्गों से धातु के अर्थ बदल जाते हैं, अन्यत्र ले जाए जाते हैं)। ऐसा ही एक शब्द बना सरकार।  'सर' उपसर्ग तो है ही, एक स्वतंत्र शब्द भी है। मसलन ग़ालिब का वह शेर, जिसमें वे कहते हैं- 'आह को चाहिए, इक उम्र असर होने तक। ...कौन जीता है, तेरी जुल्फ के सर होने तक।' यहाँ शायद सर का आशय विजय से है। ताश के एक खेल (29?) में भी सर शब्द का यही अर्थ लिया जाता है।
खैर..जिस सर की बात हम कर रहे हैं, वह उपसर्ग यानी प्रीफिक्स के रूप में प्रयुक्त है और 'कार' के साथ लगने पर सर्वोपरि या सबसे ऊँचा या व्यवस्था में शीर्ष पर बैठी हुई सत्ता का अर्थ देता है। इस लिहाज़ से 'सरकार' का अर्थ हुआ, वह जो समस्त तंत्र में सबसे उच्च आसन पर अवस्थित हो और इस नाते जो सब कुछ करने में सक्षम हो। इसी अर्थ में भगवान या इस पूरे विश्व के नियन्ता को भी सरकार कहा गया। उर्दू की कुछ कव्वालियों में सरकार-ए-मदीनाकहकर उसी का उल्लेख किया गया है। उर्दू के अशआर में माशूका को 'सरकार' कहकर संबोधित करने में भी उसका (महबूबा का) रुतबा बुलन्द करने का ही भाव है। एक ऐसा ही गीत है- ग़म का फसाना बन गया अच्छा! सरकार ने आकर मेरा हाल तो पूछा।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हमारा मंतव्य है कि 'सरकार' शब्द की व्युत्पत्ति के लिए श्रीकार्य या श्रीकरः से तो शायद ही हुई हो। अधिक उपयुक्त तो हमें यह सर+कार वाली व्युत्पत्ति ही लगती है।
उत्तर प्रदेश में सरकार यानी गवर्नमेंट के लिए 'शासन' शब्द खूब चलता है। उत्तर प्रदेश शासन- यहाँ यूपी गवर्नमेंट के लिए प्रचलित प्रतिपद है। 'शासन' शब्द निश्चय ही संस्कृत से आया है। इसकी मूल धातु है शास् जिसमें ल्युट् प्रत्यय लगने पर बना शासन। शासन की अर्थच्छटाएं समझनी हों तो शास् धातु से बने बांग्ला शब्द 'शास्ति' को देखें। बांग्ला में 'शास्ति' का अर्थ है-सजा यानी दंड। इसे अंग्रेजी में कहते हैं पनिशमेंट। परंपरागत रूप से शास्ति यानी दंड ही शासन का प्रमुख साधन था। डंडे के दम पर सरकार चलाना इसी को कहा जाता था। राजदंड इसी का प्रतीक है। आज भी, भारत सरकार के कुछ अधिकारी और पुलिस वाले डंडा लेकर अपना शासन चलाते हैं। डंडा न हो तो कोई उनकी बात नहीं सुनता। अनपढ़, ढोर, गंवार टाइप जनता को नियंत्रित करने का कोई और कारगर उपाय हो भी तो नहीं सकता।

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