पूछ और
पूँछ
जिस इलाके में मैं रहता हूँ, वहाँ और उससे पूरब में, यानी पूर्वी उत्तर
प्रदेश में कई लोग पूछ और पूँछ को पर्यायवाची शब्दों के रूप में इस्तेमाल करते
हैं। हिन्दी के ज्ञाताओं को तो इन दोनों शब्दों का अन्तर मालूम है, किन्तु जिन्हें
नहीं मालूम, उनकी जानकारी के लिए बता दें कि पूछ(ना) का अर्थ होता है जिज्ञासा
करना, मालूम करना, प्रश्न करके किसी वस्तु, स्थिति, संकल्पना, परिस्थिति आदि के
बारे में और जानना। मसलन यदि कोई कहे कि अमुक व्यक्ति आपके बारे में पूछ रहा था,
तो अर्थ होगा कि वह आपके विषय में जानकारी ले रहा था। शिक्षक अपने शिष्यों से कहते
हैं- सवाल पूछना हो तो पूछ लो, यानी अपनी शंका के समाधान के लिए कुछ और जानना
चाहते तो जान लो। अंग्रेजी में इन्क्वायरी शब्द का अर्थ होता है पूछ(ताछ)। पूछ
अपने-आप में संपूर्ण शब्द है, जबकि पूछ-ताछ द्विरुक्ति। पाठकों को ज्ञात होगा कि
द्विरुक्ति ऐसे शब्द-युग्म को कहते हैं, जिसमें प्रथम शब्द तो अर्थवान होता है,
किन्तु उसका अनुगामी दूसरा शब्द प्रायः निरर्थक। पूछ-ताछ द्विरुक्ति है, किन्तु
पूछ-परख द्विरुक्ति नहीं है, क्योंकि परख शब्द का अपना स्वतंत्र अर्थ भी है, इसके
विपरीत ताछ का कोई अर्थ नहीं है, और इस नाते उसे शब्द कहना भी संभवतः ठीक न हो।
पूछ का एक अर्थ 'कद्र' भी होता है। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि
रिटायर हो चुके क्रिकेट खिलाड़ियों की भी अपने देश में बड़ी पूछ है, तो इसका अर्थ यही
है कि उन खिलाड़ियों की बहुत कद्र है।
अब
ज़रा पूँछ को लें। पूँछ का अर्थ है कशेरुकी जानवरों की रीढ़ की हड्डी का वह आखिरी
हिस्सा जो उनके पिछले जानुओं (जंघाओं) के बाद होता है, और प्रायः जिसके नीचे मादा
जानवरों के जननांग, तथा सभी पूँछधारी जानवरी की गुदा आदि होते हैं। इसीलिए कहावत
प्रसिद्ध है कि जिसकी पूँछ उठाओ, वही मादा निकलता है। पूँछ उठाकर दौड़ने में
आह्लाद का भाव है। गायों के बछड़े-बाछियाँ अपनी माँ को देखते ही उसकी ओर या उसके
पीछे पूँछ उठाकर दौड़ते हैं। पूँछ दबाकर भागने में भय की व्यंजना है। कुत्ते जब डर
जाते हैं तो पूँछ दबाकर भाग खड़े होते हैं। हिन्दी में दुम दबाकर भागने का मुहावरा
खूब प्रचलित है। पूँछ को कुछ लोग पोंछ भी कहते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मूँछ को
मोंछ। लेकिन पूछ और पूँछ में बुनियादी फर्क है। इसे हर हिन्दी-भाषी को समझना
चाहिए।
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