Wednesday, 17 May 2017

बत्था का भोजपुरी और उड़िया में एक ही अर्थ है यानी पीड़ा



बत्था यानी पीड़ा, दुःख (भोजपुरी एवं उड़िया)!
भोजपुरी में शारीरिक पीड़ा, दर्द आदि को बत्था कहते है। मसलन यदि किसी का सिर दुख रहा हो तो भोजपुरी में कहेंगे- कपार बत्थत आ, या कपार बथ रहल बा। हिन्दी में बत्थ या बथना क्रिया है ही नहीं। भोजपुरी को हिन्दी की बोली समझा जाता है। आजकल कुछ लोग उसे आठवीं अनुसूची की भाषा बनाने की माँग कर रहे हैं। खैर... हमें उससे क्या! हम कुछ और बात कर रहे हैं।
तो भोजपुरी में बथने का अर्थ है दर्द होना। और मजे की बात यह है कि उड़िया में बथना शब्द पीड़ा के लिए इस्तेमाल होता है। यदि किसी का सिर दुख रहा हो तो उड़िया भाषी भी बत्थ शब्द का ही प्रयोग करेंगे। है न मज़े की बात!  इससे सिद्ध होता है कि हमारी भाषाएँ गहराई में कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। और जोड़ने का यह कार्य मानक, सुष्ठु भाषा के स्तर पर नहीं, बल्कि लोक तत्व के स्तर पर हुआ है।

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