भद्र से बना भद्द,
भद्दा और भौंडा
बांगला
में भद्र लोको का अर्थ है भला आदमी, सज्जन। इस प्रकार भद्र का अर्थ हुआ अच्छा।
उसमें अ उपसर्ग लगा दें तो बन जाता है अभद्र, जिसका अर्थ है अशोभनीय। भद्र यानी सुन्दर,
शोभनीय, अच्छा और अभद्र यानी खराब, अशोभनीय।
हिन्दी में
एक शब्द प्रचलित है भद्दा। इसका अर्थ भी अशोभनीय, कुरूप, असुन्दर आदि होता है। यदि
हम कहें कि यह फिल्म बहुत भद्दी है या उसने एक भद्दी-सी गाली दी, तो इन वाक्यों
में भद्दा का नकारात्मक अर्थ ही होगा। संस्कृत के भद्र शब्द से हिन्दी के भद्दा का
विकास हुआ होगा, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है, ठीक उसी प्रकार जैसे भारतीय
महीने भाद्रपद को भादों कहा जाता है। संस्कृत शब्दों में अन्त्य र् का लोप होकर
उसके बाद बच रहे अन्तिम व्यंजन का द्वित्व होना या कोई और विकार उत्पन्न हो जाना
बिलकुल आम बात है।
भद्र या
भद्दा का ही एक बिगड़ा हुआ रूप है भौंडा, जो बहुत- ही लोक-प्रचलित शब्द है। भद्र
या भौंडा का अर्थ है अपरिष्कृत। मजे की बात है कि संस्कृत में जो भद्र शोभनीय,
सुन्दर और अच्छा के अर्थ में प्रयुक्त होता था, वही रूप परिवर्तन के बाद हिन्दी
में आया तो भद्दा बन गया और उसका अर्थ बिलकुल उलट गया। बताते चलें कि हिन्दी में
भद्द पिट गयी वाक्य भी प्रचलित है, जिसका अर्थ है बहुत बेइज्जती हो गई, बहुत-ही
खराब स्थिति उत्पन्न हो गई।
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